छछूंदर के सिर में चमेली का तेल
शादी वाले दिन दबी जुबान में सिर्फ एक ही चर्चा हो रही कि साधारण नाक नक्श वाले अमन को तो मॉडल जैसी बीवी मिली है, मानो छछूंदर के सिर में चमेली का तेल। शादी में उपस्थित हर नौजवान के मन में छछूंदर के सिर में चमेली का तेल कहावत का अर्थ इसलिए आ रहा था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि अयोग्य व्यक्ति को बहुमूल्य वस्तु मिल गई हो लेकिन इन सबसे बेखबर अमन और प्रीति को तो मानों दुनिया जहां की खुशी मिल चुकी थी।
प्रीति की खुबसूरती की चर्चा हर जुबान पर हो रही थी साथ ही ऑंखें भी यही बयां कर रही थी कि जोड़ी तो बेमेल है लेकिन प्रीति की ऑंखो में सिर्फ अमन का चेहरा था और जुबान पर सिर्फ अमन का नाम।
शादी के बाद बढ़ी जिम्मेदारियों के दवाब में अमन ने अपने आपको इतना दबा लिया कि उसे प्रीति के साथ समय बिताने के लिए समय ही ना रहा। काम के नाम पर कई दिन तक घर से बाहर रहता। प्रीति भी अमन को समझ रही थी इसलिए बहुत दिन तक तो उसमें अमन का साथ दिया लेकिन दिन - प्रतिदिन बदलते अमन के व्यवहार से अब वह दुखी रहने लगी थी। अमन बेवफा नहीं था और प्रीति भी उसे बेवफा नहीं समझ रही थी लेकिन अकेलेपन और अमन के व्यवहार ने उसे इतना तोड़ दिया कि जिन पैसों के लिए अमन अपनी प्रीति से दूर जा रहा था उन पैसों से प्रीति को नफरत सी होने लगी थी। उसे ऐशों - आराम, धन - दौलत नहीं चाहिए थे उसे तो पहले वाला वह अमन चाहिए था जो उसके साथ समय व्यतीत करता था, उसकी एक नजर से ही प्रीति प्यार के भंवर में डूब जाती थी। कॉलेज के दिनों में अमन और प्रीति को सभी चांद और चकोर के नाम से बुलाते थे। दोनों एक - दूसरे के प्यार में इस कदर पागल थे कि आस - पास क्या हो रहा है? उन्हें पता ही नहीं चलता था जब वह एक दूसरे की ऑंखों में निहारा करते थे। एक - दूसरे की छोटी से छोटी चोट पर दोनों इस तरह व्याकुल हो जाते थे मानों उनका जीवन ही नष्ट हो गया हो लेकिन यह सब शादी से पहले की बातें थी जो प्रीति अक्सर ही याद करती थी लेकिन अमन तो मानो यह सब भूल ही गया था। उसके सर पर तो पैसे कमाने का भूत जो सवार हो गया था। वह अपनी प्रीति को ऐशों - आराम की हर चीज देना चाहता था लेकिन प्रीति को उन चीजों से ना तो कोई मोह था और ना वह अपने जीवन में इसे चाहती थी। वह तो सिर्फ अपने अमन को अपने जीवन में फिर से लाना चाहती थी लेकिन वह हर तरह से अमन को समझाकर थक गई थी लेकिन अमन ने पैसो के पीछे भागना बंद ही नहीं किया।
प्रीति दुखी रहने लगी थी तभी एक दिन उसे मालूम चला कि उसकी माॅं बीमार है। ड्राइवर के साथ वह अपने मायके के गांव जा ही रही थी कि तभी ड्राइवर ने अपना आपा खो दिया और ट्रक से जा टकराया। ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई थी। प्रीति बच तो गई थी लेकिन सिर्फ एक जिंदा लाश बनकर। अस्पताल में औरों के लिए तो वह चेतना शून्य थी लेकिन मन ही मन प्रीति यह सोच रही थी कि मौत उसे छूकर क्यों चली गई? वह तो जीना चाहती ही नहीं थी। उसने तो ईश्वर से अपनी मौत मांगी थी लेकिन ईश्वर ने उसे यह भी नहीं दिया। क्यों नहीं दिया? अपने ईश्वर से वह यही सवाल बारंबार कर रही थी तभी अमन बेतहाशा भागता ऑंखों में ऑंसू, चेहरे पर चिंता की लकीरें और कांपते हाथों के साथ उसके पास आया।
अमन बदल चुका था। अमन के पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। प्रीति की देखभाल के लिए वह दस नर्स रख सकता था लेकिन उसने नर्स नहीं रखी। घर से ही अपना कारोबार चलाकर वह प्रीति की देखभाल करता रहा था। उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका था। प्रीति उससे कुछ कह तो नहीं सकती थी लेकिन बिन कहे ही अमन उसकी हर बात समझने लगा था और अपनी गलती को अपना अपराध मान कर वह हजारों बार प्रीति से उसके लिए माफी मांग चुका था। प्रीति भी चाहती थी कि उसे माफ कर दे लेकिन उसके जगने का शायद ईश्वर ने वह समय तय नहीं किया था। अमन की कोशिशों और देखभाल के बावजूद भी वह ठीक नहीं हो रही थी।
प्रीति की हालत देखते हुए अमन चिंतित अवश्य था लेकिन उसने ईश्वर पर विश्वास और चमत्कार की उम्मीद नहीं छोड़ी थी। प्रीति के प्रति अपना अनन्य प्रेम और निष्ठा रखते हुए अमन यही चाह रहा था कि उसकी प्रीति फिर से वापस आकर उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां भर दें और पहले की भांति ही लोग उसे छछूंदर के सिर में चमेली का तेल कहें तो प्रीति उन सबको जवाब बोलकर नही बल्कि उसकी ऑंखों में देखकर दें।
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💓💞💓
# मुहावरों की दुनिया
Mahendra Bhatt
19-Feb-2023 09:09 PM
बहुत खूब
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डॉ. रामबली मिश्र
18-Feb-2023 09:29 PM
शानदार
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अदिति झा
17-Feb-2023 10:41 AM
Nice
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